ज़िंदा रहें।
सबेरे उठ के देखा। दुनिया वैसी की वैसी है। बस पड़ोस में एक इंसान लटक के खत्म हो गया। कुछ ऐसी वैसी बात थी जो वो नहीं चाहते थे दुनिया के सामने आये। पर उनके मरने के बाद सामने आ गई। क्या फायदा हुआ? मरने के बाद होने वाली बेइज्जती से जिंदा आदमी की बेइज्जती भली। आगे वो फिर कमा लेगा इज्जत! पर मुर्दा कैसे दोबारा इज्जत कमाने आयेगा? वो तो मर ही गया। उसकी बेइज्जती स्थाई हो गई।वैसे ही जैसे मरने के ठीक पहले होने वाली वसीयत। भले जिसको वसीयत की, वो नाकाबिल हो पर मरने के बाद कैसे बदलोगे? जिंदा रहना बहुत जरूरी है। सबसे ज़रूरी है। सबसे ज्यादा जरूरी है। जिंदा रह के आप चीजें बदल सकते हैं। कम से कम बदलने का प्रयास तो कर ही सकते हैं। दुनिया सोशल मीडिया कितनी भी वायरल दुनिया। पर यहां हमारे सारे रिश्तेदार ही नहीं बैठे जिनके हमारे बारे में कुछ जानने से हमें बहुत फर्क पड़े। बेशर्मी जिंदा रहने के लिये बहुत जरूरी है। बेशर्म जिंदा आदमी इज्जतदार मुर्दा आदमी से हमेशा अच्छा रहता है। भारत का मध्यकालीन इतिहास गवाही देता है। मोहम्मद गोरी कितनी बार हार के बेइज्जत हुआ था? पर वो जिंदा रहा। जीत गया। यहां हमारे राजाओं ने ...